गिटार बजाना हर किसी का सपना होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक सही धुन में बजाया गया गिटार ही आपके संगीत में जादू भर सकता है? मैंने खुद अपने गिटार वादक के सफर में ये महसूस किया है कि सिर्फ सुरों को बजाना ही काफी नहीं, बल्कि उन सुरों का सटीक होना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। आजकल डिजिटल ट्यूनर ऐप्स जैसे GuitarTuna और Fender Tune ने ट्यूनिंग को भले ही बहुत आसान बना दिया हो, पर गिटार ट्यूनिंग का सही सिद्धांत जानना आज भी उतना ही अहम है जितना पहले था। (यह ट्यूनिंग सिर्फ स्ट्रिंग्स को ढीला या कसने से कहीं ज़्यादा है, यह आपके वाद्य यंत्र को उसकी पूरी क्षमता पर लाने की कला है।) सही ट्यूनिंग से आपकी प्रैक्टिस बेहतर होती है और आपके संगीत की गुणवत्ता भी कई गुना बढ़ जाती है। चाहे आप नए तार बदल रहे हों या हर बार बजाने से पहले अपने गिटार को ट्यून कर रहे हों, इसका सही तरीका समझना बेहद ज़रूरी है।तो आइए, इस लेख में हम गिटार ट्यूनिंग के हर पहलू को गहराई से समझते हैं और आपके गिटार को हमेशा परफेक्ट सुर में रखने के बेहतरीन तरीके सटीक जानकारी के साथ आपको निश्चित रूप से बताएंगे!
वाह! तो, दोस्तों, गिटार ट्यूनिंग सिर्फ स्ट्रिंग्स को कसना या ढीला करना नहीं है, ये एक कला है जो आपके संगीत को एक नया जीवन दे सकती है! जैसा कि मैंने पहले भी कहा, सही ट्यूनिंग से ही जादू पैदा होता है। मेरे गिटार के सफर में मैंने बार-बार महसूस किया है कि जब तक आपका गिटार परफेक्ट सुर में न हो, तब तक आप चाहे जितनी भी मेहनत कर लें, वो मज़ा नहीं आता। ये सिर्फ बेहतर प्रैक्टिस की बात नहीं है, बल्कि आपके संगीत की क्वालिटी को कई गुना बढ़ा देता है। तो चलिए, बिना देर किए जानते हैं कि कैसे हम अपने गिटार को हमेशा सुर में रख सकते हैं और अपनी हर धुन को यादगार बना सकते हैं!
गिटार को सुर में रखने का पहला कदम: ट्यूनिंग के तरीके और उनका चुनाव

क्या आपने कभी सोचा है कि गिटार को ट्यून करने के कितने तरीके हो सकते हैं? मुझे याद है, जब मैंने पहली बार गिटार सीखना शुरू किया था, तब मैं सिर्फ़ कान से ट्यून करने की कोशिश करता था, और आप यकीन मानिए, वो बड़ा ही मुश्किल काम था!
आजकल तो डिजिटल ट्यूनर ऐप्स जैसे GuitarTuna या Fender Tune ने काम बहुत आसान कर दिया है। लेकिन, मेरा अनुभव कहता है कि सिर्फ़ ऐप पर निर्भर रहने से अच्छा है कि आप हर तरीके के बारे में जानें। डिजिटल ट्यूनर, क्लिप-ऑन ट्यूनर, और यहां तक कि कान से ट्यून करना – हर किसी के अपने फायदे और चुनौतियाँ हैं। मेरा एक दोस्त है, राजीव, जो सालों से गिटार बजा रहा है। वो कहता है कि जब तक आप कान से ट्यून करने की कला में माहिर न हो जाएं, तब तक आपको हमेशा एक भरोसेमंद ट्यूनर का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे न सिर्फ आपकी प्रैक्टिस सही दिशा में जाती है, बल्कि आपके कान भी धीरे-धीरे सुरों को पहचानने में बेहतर होते जाते हैं। मैंने खुद देखा है कि जब मैंने शुरुआत में क्लिप-ऑन ट्यूनर का इस्तेमाल किया, तो मेरे गिटार के सुर बहुत तेज़ी से सुधरे। ये ट्यूनर गिटार के हेडस्टॉक पर क्लिप हो जाते हैं और सीधे इंस्ट्रूमेंट के वाइब्रेशन्स को पढ़ते हैं, जिससे आसपास के शोर का उन पर असर नहीं पड़ता। कुछ लोग सोचते हैं कि ऐप ट्यूनर उतने सटीक नहीं होते, लेकिन आजकल के कई ऐप, खासकर स्ट्रोब ट्यूनर ऐप, बहुत ही सटीक होते हैं। तो, अपने लिए सबसे अच्छा तरीका चुनना आपके गिटार के प्रकार और आपकी पर्सनल पसंद पर निर्भर करता है।
सही ट्यूनर का चुनाव: ऐप या हार्डवेयर?
ये सवाल हर नए गिटारिस्ट के मन में आता है: मैं ऐप इस्तेमाल करूँ या कोई फिजिकल ट्यूनर खरीदूँ? मैंने खुद दोनों का इस्तेमाल किया है और मेरा मानना है कि दोनों ही बेहतरीन हैं, बस आपको अपनी ज़रूरतों के हिसाब से चुनना होगा। जब मैं घर पर होता हूँ या दोस्तों के साथ कैज़ुअल जैम सेशन कर रहा होता हूँ, तो मेरा फ़ोन ऐप (जैसे GuitarTuna) मेरा सबसे अच्छा साथी होता है। ये सुविधाजनक होते हैं और अक्सर बिल्कुल मुफ्त मिलते हैं। लेकिन जब बात रिकॉर्डिंग स्टूडियो की आती है, या मैं किसी लाइव परफॉरमेंस के लिए तैयारी कर रहा होता हूँ, तो मैं हमेशा एक क्लिप-ऑन ट्यूनर या एक पेडल ट्यूनर का इस्तेमाल करता हूँ। क्लिप-ऑन ट्यूनर बाहरी शोर से प्रभावित नहीं होते क्योंकि वे गिटार के वाइब्रेशन को सीधे महसूस करते हैं। कुछ ऐप ट्यूनर उतने सटीक नहीं भी हो सकते, लेकिन कई आधुनिक ऐप, विशेष रूप से “स्ट्रोब ट्यूनर ऐप्स,” अविश्वसनीय रूप से सटीक होते हैं। इसलिए, अगर आप सिर्फ घर पर प्रैक्टिस कर रहे हैं, तो एक अच्छा ऐप काफी है, लेकिन अगर आप प्रोफेशनली बजा रहे हैं, तो एक समर्पित हार्डवेयर ट्यूनर में निवेश करना एक अच्छा विचार है।
स्टैंडर्ड ट्यूनिंग के बेसिक्स
गिटार ट्यूनिंग की दुनिया में “स्टैंडर्ड ट्यूनिंग” सबसे आम है, और यहीं से हर गिटारिस्ट की यात्रा शुरू होती है। अगर आपको अपने गिटार की छह स्ट्रिंग्स के नाम याद नहीं हैं, तो कोई बात नहीं, मैं आपको बताता हूँ: सबसे मोटी, सबसे कम पिच वाली स्ट्रिंग (छठी स्ट्रिंग) से शुरू करके, वे E, A, D, G, B, E होती हैं। इसे याद रखने के कई मज़ेदार तरीके हैं, जैसे “Every Apple Does Good By Eating” या हिंदी में “हर एक दोस्त गर्लफ्रेंड बड़ी ऐश करती है!” (ये तो मैंने खुद बनाया है!)। जब आप पहली बार गिटार को ट्यून कर रहे होते हैं, तो सबसे पहले ट्यूनर को ऑटो मोड पर रखें और एक-एक स्ट्रिंग को बजाते हुए ट्यूनिंग पैग्स को एडजस्ट करें। ट्यूनिंग पैग्स को ढीला या कसने से स्ट्रिंग की पिच बदलती है। अगर ट्यूनर “फ्लैट” दिखा रहा है, तो आपको स्ट्रिंग को कसना होगा (पिच बढ़ानी होगी), और अगर “शार्प” दिखा रहा है, तो ढीला करना होगा (पिच कम करनी होगी)। हमेशा धीरे-धीरे एडजस्ट करें, खासकर जब स्ट्रिंग को कस रहे हों, ताकि वो टूटे नहीं। मेरा अनुभव कहता है कि हर बार बजाने से पहले अपने गिटार को ट्यून करना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इससे आपकी प्रैक्टिस बेहतर होती है और आप शुरू से ही सही सुरों को पहचानना सीखते हैं।
मौसम का मिजाज और गिटार की धुन: क्यों बदल जाती है ट्यूनिंग?
दोस्तों, आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन हमारे गिटार पर सिर्फ हमारा बजाना ही नहीं, बल्कि मौसम का मिजाज भी असर डालता है। मुझे याद है, एक बार मैं एक आउटडोर गिग के लिए गया था, और गर्मी में मेरा गिटार बार-बार बेसुरा हो रहा था। मैं सोच में पड़ गया कि आखिर क्या हो रहा है!
बाद में मुझे समझ आया कि तापमान और आर्द्रता (Humidity) दोनों ही गिटार की ट्यूनिंग को प्रभावित करते हैं। गिटार लकड़ी और धातु के तारों से बना होता है, और ये दोनों चीजें तापमान और नमी के साथ फैलती और सिकुड़ती हैं। खासकर पतले तार सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं और तापमान बढ़ने पर थोड़े ‘फ्लैट’ हो जाते हैं। यह एक बहुत ही आम समस्या है जो हर गिटारिस्ट झेलता है। अगर आपका कमरा कभी 32°C और कभी 23-26°C होता है, तो आप देखेंगे कि ट्यूनिंग थोड़ी बदल गई है। इसलिए, अपने गिटार को हमेशा एक स्थिर वातावरण में रखना बहुत ज़रूरी है। यह छोटी सी बात आपको बार-बार ट्यून करने की परेशानी से बचा सकती है और आपके गिटार की उम्र भी बढ़ा सकती है। मेरे एक प्रोफेसर थे, वे हमेशा कहते थे, “अपने गिटार को एक जीवित प्राणी समझो, उसे आरामदायक माहौल दो!”।
तापमान का प्रभाव
मेरे एक दोस्त ने एक बार मुझसे पूछा, “यार, मैं अपना गिटार रात को ट्यून करता हूँ, सुबह बजाता हूँ तो बेसुरा मिलता है, क्या चक्कर है?” मैंने उसे समझाया कि ये तापमान का खेल है!
जब तापमान बढ़ता है, तो गिटार की लकड़ी और तार दोनों ही थोड़े फैलते हैं, जिससे तारों पर तनाव कम हो जाता है और वे ‘फ्लैट’ हो जाते हैं। इसके उलट, जब तापमान गिरता है, तो वे सिकुड़ते हैं, जिससे तनाव बढ़ जाता है और वे ‘शार्प’ हो सकते हैं। ये बदलाव इतने सूक्ष्म होते हैं कि कभी-कभी हमें पता भी नहीं चलता, लेकिन ये हमारी धुन को बिगाड़ सकते हैं। खासकर, पतले तार तापमान के बदलावों के प्रति ज़्यादा संवेदनशील होते हैं। मैंने यह खुद कई बार देखा है कि मेरे इलेक्ट्रिक गिटार की तुलना में मेरे एकॉस्टिक गिटार पर तापमान का ज़्यादा असर होता है, क्योंकि एकॉस्टिक गिटार में ज़्यादा लकड़ी का इस्तेमाल होता है। इसलिए, अगर आप अपने गिटार को स्टूडियो में या लाइव परफॉरमेंस के लिए ले जा रहे हैं, तो उसे नए वातावरण में ढलने के लिए थोड़ा समय देना बहुत ज़रूरी है।
आर्द्रता का प्रभाव
तापमान के साथ-साथ, आर्द्रता भी गिटार की ट्यूनिंग पर बड़ा असर डालती है। नमी बढ़ने से लकड़ी थोड़ी फूलती है, और नमी कम होने पर सिकुड़ती है। ये बदलाव तारों के तनाव को प्रभावित करते हैं। मेरा एक पुराना एकॉस्टिक गिटार था, जिसे मैंने मुंबई की नमी में कुछ साल रखा था, और मैंने देखा कि उसकी ट्यूनिंग बहुत ही अस्थिर रहती थी। सूखे मौसम में, तार कसने पड़ते थे, और नमी वाले मौसम में ढीले करने पड़ते थे। अगर आप ऐसे माहौल में रहते हैं जहां नमी का स्तर बहुत बदलता रहता है, तो अपने गिटार को एक ऐसे केस में रखना अच्छा रहता है जो नमी को नियंत्रित कर सके। इससे आपके गिटार की ट्यूनिंग स्थिर रहेगी और उसकी लकड़ी को भी नुकसान नहीं होगा। ये छोटी सी देखभाल आपके गिटार की लंबी उम्र और उसकी मधुर धुन दोनों को बनाए रखने में मदद करती है।
ट्यूनिंग की आम गलतियाँ: जिनसे बचना है ज़रूरी!
दोस्तों, हम सब गलती करते हैं, खासकर जब कोई नई चीज़ सीख रहे होते हैं। गिटार ट्यूनिंग में भी मैंने बहुत सारी गलतियाँ की हैं, और मेरे कई स्टूडेंट्स भी करते हैं!
ये गलतियाँ कभी-कभी इतनी छोटी होती हैं कि हमें पता भी नहीं चलता कि हम कुछ गलत कर रहे हैं। मुझे याद है, शुरुआत में मैं अक्सर सोचता था कि मेरा गिटार खराब है क्योंकि वो ट्यून में नहीं रहता था, लेकिन असल में गलती मेरी ही थी। सबसे आम गलतियों में से एक है ट्यूनिंग के बाद तारों को दोबारा चेक न करना। जब आप एक स्ट्रिंग को ट्यून करते हैं, तो बाकी स्ट्रिंग्स पर भी थोड़ा असर पड़ता है, खासकर अगर आपका गिटार बहुत ज़्यादा बेसुरा था। तो, हमेशा एक बार सारी स्ट्रिंग्स को ट्यून करने के बाद, एक बार फिर से ऊपर से नीचे तक चेक करें। मेरा दोस्त अनिल हमेशा कहता है, “दो बार चेक करो, एक बार बजाओ!”। एक और गलती जो मैं देखता हूँ वो ये है कि लोग ट्यूनिंग के दौरान तारों को बहुत तेज़ी से प्लक करते हैं, जिससे ट्यूनर को सही नोट पहचानने में दिक्कत होती है।
तारों को सही से खींचना (Stretching the Strings)
ये एक ऐसी टिप है जिसे मुझे बहुत पहले सीख लेना चाहिए था! जब आप नए तार लगाते हैं, तो वे अपनी जगह पर सेट होने में थोड़ा समय लेते हैं। अगर आप उन्हें पहले से नहीं खींचते हैं, तो वे बजाते ही तुरंत बेसुरा हो जाएंगे। मेरा अनुभव कहता है कि नए तारों को लगाने के बाद, उन्हें धीरे-धीरे और सावधानी से खींचना चाहिए। हर स्ट्रिंग को हल्का सा ऊपर खींचें और फिर से ट्यून करें। आपको ये प्रक्रिया कुछ बार दोहरानी पड़ सकती है जब तक कि तार अपनी जगह पर स्थिर न हो जाएं और खींचने के बाद भी ट्यून में रहें। मैंने एक बार नए तार लगाए और सीधे परफॉरमेंस पर चला गया, और आप सोच सकते हैं कि क्या हुआ होगा – मेरा गिटार बीच में ही बेसुरा हो गया!
तब से, मैं हमेशा यह सुनिश्चित करता हूँ कि नए तार अच्छी तरह से खिंच जाएं। इससे न केवल ट्यूनिंग स्थिर रहती है, बल्कि आपके तारों की लाइफ भी थोड़ी बढ़ जाती है।
सही पिच को पहचानना
क्या आप जानते हैं कि ट्यूनर पर “G#” और “G” में क्या फर्क होता है? शुरुआत में मुझे भी नहीं पता था! कई बार लोग ट्यूनर पर सिर्फ हरी बत्ती देखते हैं और सोचते हैं कि गिटार ट्यून हो गया, लेकिन वे यह ध्यान नहीं देते कि नोट के आगे ‘शार्प’ (#) या ‘फ्लैट’ (♭) का निशान तो नहीं है। ये एक बहुत ही सामान्य गलती है जो ट्यूनिंग को पूरी तरह से गलत कर सकती है। मुझे याद है, मेरे एक स्टूडेंट ने एक बार अपने गिटार को G# पर ट्यून कर लिया था, जबकि उसे G पर करना था। नतीजा ये हुआ कि जब वह मेरे साथ बजाने लगा, तो सब कुछ बेसुरा लग रहा था!
हमेशा ट्यूनर पर नोट के साथ-साथ उसके सिंबल पर भी ध्यान दें। अगर आप स्टैंडर्ड E, A, D, G, B, E ट्यूनिंग कर रहे हैं, तो इन नोट्स के आगे कोई शार्प या फ्लैट नहीं होना चाहिए। कुछ ऐप आपको मैन्युअल मोड में जाने का ऑप्शन भी देते हैं, जहां आप खुद स्ट्रिंग को सेलेक्ट करके ट्यून कर सकते हैं, जिससे गलत नोट पर ट्यून होने की संभावना कम हो जाती है। अपनी कानों को भी प्रशिक्षित करें, धीरे-धीरे आप बिना ट्यूनर के भी सही पिच को पहचानने लगेंगे।
आपके गिटार के तार: ट्यूनिंग में उनका रोल
गिटार के तार सिर्फ आवाज़ पैदा करने का ज़रिया नहीं हैं, वे ट्यूनिंग के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक हैं। मुझे याद है, जब मैं शुरुआती दिनों में था, तो मैं किसी भी पुराने तार का इस्तेमाल कर लेता था, और फिर शिकायत करता था कि मेरा गिटार ट्यून में क्यों नहीं रहता!
बाद में मुझे समझ आया कि तारों की क्वालिटी, उनकी उम्र और उन्हें बदलने का तरीका, ये सब ट्यूनिंग को बहुत प्रभावित करते हैं। मेरे एक म्यूज़िक टीचर थे, वे हमेशा कहते थे, “एक अच्छी डिश के लिए अच्छी सामग्री चाहिए, वैसे ही अच्छे संगीत के लिए अच्छे तार चाहिए।” मैंने खुद अपने गिटार पर महंगे और सस्ते, दोनों तरह के तारों का इस्तेमाल किया है, और मैंने देखा है कि अच्छी क्वालिटी के तार ज़्यादा देर तक ट्यून में रहते हैं और बेहतर आवाज़ भी देते हैं। इसके अलावा, पुराने, जंग लगे या घिसे हुए तार भी ट्यूनिंग को खराब कर सकते हैं।
| तारों के प्रकार | विशेषताएँ | ट्यूनिंग पर प्रभाव |
|---|---|---|
| फास्फोर ब्रॉन्ज़ (Phosphor Bronze) | अकॉस्टिक गिटार के लिए, गर्म और समृद्ध टोन देता है। | नए होने पर थोड़ा स्ट्रेच करने की आवश्यकता होती है, फिर स्थिर रहते हैं। |
| 80/20 ब्रॉन्ज़ (80/20 Bronze) | चमकीला और क्रिस्प टोन, अकॉस्टिक गिटार के लिए। | तेज़ी से सेट होते हैं लेकिन कुछ समय बाद अपनी टोन खो सकते हैं। |
| निकेल प्लेटेड स्टील (Nickel Plated Steel) | इलेक्ट्रिक गिटार के लिए, संतुलित और बहुमुखी टोन। | स्थिर ट्यूनिंग, लेकिन अधिक बजने पर घिस सकते हैं। |
| नायलॉन (Nylon) | क्लासिकल गिटार के लिए, नरम और मधुर टोन। | नए होने पर बहुत ज़्यादा स्ट्रेच होते हैं, ट्यूनिंग में समय लगता है। |
तारों को कब बदलना चाहिए?
मेरे प्यारे दोस्तों, गिटार के तारों की एक उम्र होती है। मैं आपको अपना एक अनुभव बताता हूँ: एक बार मैं एक परफॉरमेंस की तैयारी कर रहा था और मेरे गिटार की आवाज़ कुछ ‘डल’ सी लग रही थी, और ट्यूनिंग भी बार-बार बिगड़ रही थी। मैंने सब कुछ चेक किया, लेकिन फिर भी कुछ समझ नहीं आया। आखिरकार, मैंने अपने तार बदले, और आप विश्वास नहीं करेंगे, मेरे गिटार की आवाज़ पूरी तरह से बदल गई – एकदम चमकीली और साफ!
दरअसल, पुराने तार समय के साथ जंग खा जाते हैं, उन पर गंदगी जम जाती है और उनकी इलास्टिसिटी कम हो जाती है, जिससे वे सही पिच पर वाइब्रेट नहीं कर पाते। अगर आपके तार दिखने में काले पड़ गए हैं, उन पर जंग लग गया है, या वे बार-बार बेसुरा हो रहे हैं, तो यह उन्हें बदलने का संकेत है। आमतौर पर, हर 1-3 महीने में तार बदलने की सलाह दी जाती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितना बजाते हैं और आपकी उंगलियों से कितना तेल और गंदगी तारों पर लगती है। नए तार लगाने के बाद, उन्हें ठीक से स्ट्रेच करना न भूलें, जैसा कि मैंने पहले बताया था, ताकि वे जल्दी से अपनी जगह ले लें और स्थिर ट्यूनिंग दें।
तारों की क्वालिटी और ट्यूनिंग स्थिरता

क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ गिटार लंबे समय तक ट्यून में क्यों रहते हैं और कुछ नहीं? इसका एक बड़ा कारण तारों की क्वालिटी भी होती है। अच्छे ब्रांड के तार बेहतर सामग्री से बने होते हैं, जो कम टूटते हैं और ज़्यादा देर तक अपनी ट्यूनिंग बनाए रखते हैं। मुझे याद है, मैंने एक बार सस्ते तार लगाए थे, और वे इतनी जल्दी बेसुरा हो जाते थे कि मुझे हर पांच मिनट में ट्यून करना पड़ता था। यह न केवल frustrating था, बल्कि मेरी प्रैक्टिस को भी बाधित करता था। जब मैंने एक अच्छे ब्रांड के तार इस्तेमाल करना शुरू किया, तो मैंने तुरंत फर्क महसूस किया। न केवल ट्यूनिंग ज़्यादा स्थिर हुई, बल्कि गिटार की आवाज़ भी बहुत सुधरी। इसलिए, मैं आपको हमेशा सलाह दूंगा कि अच्छे तारों में निवेश करें। यह आपको लंबी अवधि में बहुत सारी परेशानियों से बचाएगा और आपके संगीत अनुभव को भी बेहतर बनाएगा।
अल्टरनेटिव ट्यूनिंग: अपनी धुन को नया आयाम दें!
अगर आपको लगता है कि गिटार ट्यूनिंग सिर्फ़ EADGBe तक ही सीमित है, तो आप गलत हैं! अल्टरनेटिव ट्यूनिंग, यानी कि स्टैंडर्ड ट्यूनिंग से अलग तरीके से तारों को ट्यून करना, आपके संगीत को एक बिल्कुल नया आयाम दे सकता है। मुझे याद है, जब मैंने पहली बार ‘ड्रॉप डी’ ट्यूनिंग (Drop D) में बजाना सीखा था, तो मेरे गिटार की आवाज़ में एक अलग ही गहराई और शक्ति आ गई थी। यह ऐसा था जैसे मुझे अपने गिटार का एक नया रूप मिल गया हो!
ये ट्यूनिंग आपको नए कॉर्ड्स और riffs को आसानी से बजाने में मदद कर सकती हैं, और आपके संगीत को एक अनोखा एहसास दे सकती हैं। चाहे आप भारी मेटल (heavy metal) बजाना चाहते हों, या ब्ल्यूज़ (blues) या फोक (folk) संगीत में कुछ नया तलाश रहे हों, अल्टरनेटिव ट्यूनिंग आपके लिए नए दरवाज़े खोल सकती हैं। कीथ रिचर्ड्स जैसे महान गिटारिस्ट ने ओपन जी (Open G) ट्यूनिंग का खूब इस्तेमाल किया है, और इससे उनके संगीत को एक पहचान मिली। तो, अगर आप अपने गिटार के साथ कुछ नया और रोमांचक करना चाहते हैं, तो अल्टरनेटिव ट्यूनिंग को ज़रूर आज़माएं!
ड्रॉप ट्यूनिंग (Drop Tunings)
ड्रॉप ट्यूनिंग एक बहुत ही लोकप्रिय अल्टरनेटिव ट्यूनिंग है, खासकर उन लोगों के बीच जो भारी संगीत बजाना पसंद करते हैं। इसमें सबसे मोटी (छठी) स्ट्रिंग को एक पूरे स्टेप (या कभी-कभी ज़्यादा) नीचे ट्यून किया जाता है, जबकि बाकी स्ट्रिंग्स स्टैंडर्ड ट्यूनिंग में रहती हैं। सबसे आम ‘ड्रॉप डी’ ट्यूनिंग है, जिसमें लो E स्ट्रिंग को D पर ट्यून किया जाता है। मुझे याद है, जब मैंने पहली बार ‘ड्रॉप डी’ में बजाया था, तो मुझे लगा कि मेरा गिटार अचानक से कितना शक्तिशाली हो गया है!
इससे आपको अपनी सबसे मोटी स्ट्रिंग पर पावर कॉर्ड्स को सिर्फ एक उंगली से बजाने की सुविधा मिलती है, जिससे riffs बनाना बहुत आसान हो जाता है। ‘साउंडगार्डन’ (Soundgarden) और ‘फू फाइटर्स’ (Foo Fighters) जैसे बैंड्स ने अपने कई गानों में ‘ड्रॉप डी’ का इस्तेमाल किया है। इसके अलावा, ‘ड्रॉप सी’ (Drop C) और ‘ड्रॉप ए’ (Drop A) जैसी ट्यूनिंग भी हैं जो और भी भारी आवाज़ देती हैं। अगर आप अपने गिटार में थोड़ा ‘ग्रंज’ या ‘मेटल’ का एहसास जोड़ना चाहते हैं, तो ड्रॉप ट्यूनिंग आपके लिए बेहतरीन विकल्प है।
ओपन ट्यूनिंग (Open Tunings)
ओपन ट्यूनिंग एक और कमाल का तरीका है अपने गिटार से नए साउंड निकालने का। इसमें आप अपने गिटार को इस तरह ट्यून करते हैं कि जब आप सभी खुली स्ट्रिंग्स को बजाते हैं, तो एक पूरा कॉर्ड बजता है। मेरा अनुभव कहता है कि ओपन ट्यूनिंग स्लाइड गिटार (slide guitar) के लिए बहुत बढ़िया होती है, और इससे ब्ल्यूज़ और फोक संगीत में एक अलग ही रंग आता है। ‘ओपन जी’ (Open G) और ‘ओपन डी’ (Open D) सबसे प्रसिद्ध ओपन ट्यूनिंग हैं। ‘रोलिंग स्टोंस’ के कीथ रिचर्ड्स ‘ओपन जी’ ट्यूनिंग के मास्टर थे, और उन्होंने अपनी कई क्लासिक धुनों में इसका इस्तेमाल किया। ‘ओपन ई’ (Open E) भी एक और मज़ेदार ट्यूनिंग है जो आपको एक चमकीली और गुंजायमान आवाज़ देती है। इन ट्यूनिंग से आप सिर्फ एक उंगली से पूरे कॉर्ड्स बना सकते हैं, जिससे गाने बनाना और भी रचनात्मक हो जाता है। अगर आप अपने गिटार से एक ‘फूलर’ और ‘ओपन’ साउंड चाहते हैं, तो ओपन ट्यूनिंग को ज़रूर एक्सप्लोर करें।
परफेक्ट ट्यूनिंग के लिए कुछ खास ट्रिक्स!
दोस्तों, गिटार ट्यूनिंग सिर्फ सही नोट्स पर लाना ही नहीं, बल्कि इसे एक आदत बनाना है। मुझे याद है, शुरुआत में मैं अक्सर ट्यून करना भूल जाता था, और फिर जब मैं बजाना शुरू करता था, तो सब बेसुरा लगता था। यह अनुभव मुझे हमेशा बताता है कि कुछ छोटी-छोटी बातें हैं जो हमारे ट्यूनिंग गेम को बहुत ऊपर ले जा सकती हैं। मैंने अपने सालों के अनुभव से कुछ ऐसे “गोल्डन रूल्स” सीखे हैं जो मुझे और मेरे स्टूडेंट्स को हमेशा परफेक्ट सुर में रहने में मदद करते हैं। ये सिर्फ़ तकनीकी बातें नहीं हैं, बल्कि ये आपके गिटार के साथ आपके रिश्ते को भी मजबूत करती हैं।
बजाने से पहले और बाद में ट्यून करें
ये एक ऐसी आदत है जिसे हर गिटारिस्ट को अपनाना चाहिए! मेरा एक टीचर था, वे हमेशा कहते थे, “जैसे खाना खाने से पहले हाथ धोते हो, वैसे ही गिटार बजाने से पहले उसे ट्यून करो।” यह बात मेरे दिमाग में ऐसे बैठ गई कि अब मैं कभी नहीं भूलता। जब आप बजाना शुरू करते हैं, तो तार धीरे-धीरे अपनी ट्यूनिंग खो देते हैं, खासकर अगर आप ऊर्जा के साथ बजा रहे हों। इसलिए, हर प्रैक्टिस सेशन या परफॉरमेंस से पहले अपने गिटार को ट्यून करना बहुत ज़रूरी है। यह सुनिश्चित करता है कि आप हमेशा सही पिच पर बजा रहे हैं, जिससे आपके कान भी सही सुरों को पहचानना सीखते हैं। और हाँ, बजाने के बाद, खासकर अगर आप अपने गिटार को लंबे समय के लिए रख रहे हैं, तो तारों को थोड़ा ढीला कर देना चाहिए। यह आपके गिटार पर तनाव कम करता है और उसकी लंबी उम्र को बढ़ाता है। मुझे पता है, कभी-कभी आलस आता है, लेकिन मेरा विश्वास करो, यह छोटी सी आदत आपके गिटार के लिए बहुत फायदेमंद है।
पिच बेंडिंग और वाइब्रेटो का सही इस्तेमाल
पिच बेंडिंग और वाइब्रेटो गिटार बजाने की वो तकनीकें हैं जो आपके संगीत में जान डाल देती हैं, लेकिन अगर इनका सही से इस्तेमाल न किया जाए, तो ये आपकी ट्यूनिंग को भी बिगाड़ सकती हैं। मुझे याद है, जब मैं शुरुआती दिनों में था, तो मैं अक्सर इतनी ज़ोर से पिच बेंड करता था कि तार ही बेसुरा हो जाता था!
इसका मतलब यह नहीं है कि आपको इन तकनीकों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, बल्कि यह है कि आपको इन्हें सावधानी से और नियंत्रित तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए। अगर आपके तार पुराने हैं या उनकी क्वालिटी अच्छी नहीं है, तो वे पिच बेंडिंग के बाद जल्दी से बेसुरा हो सकते हैं। अच्छे तार, एक अच्छी क्वालिटी का नट (nut) और ब्रिज (bridge), ये सब आपकी ट्यूनिंग को स्थिर रखने में मदद करते हैं, भले ही आप कितना भी पिच बेंड करें। मेरा अनुभव कहता है कि धीरे-धीरे और नियंत्रित तरीके से पिच बेंड करना सीखें, और हमेशा अपनी ट्यूनिंग को चेक करते रहें, खासकर अगर आप बहुत ज़्यादा पिच बेंड का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह आपको एक बेहतर गिटारिस्ट बनाएगा और आपके संगीत को भी मधुर बनाएगा।
글을마च며
तो दोस्तों, देखा आपने, गिटार ट्यूनिंग सिर्फ एक छोटा सा काम नहीं है, ये आपके संगीत की आत्मा को सही दिशा देने जैसा है। मेरे खुद के अनुभव से मैंने सीखा है कि जब आपका गिटार एकदम सुर में होता है, तो हर कॉर्ड, हर धुन एक अलग ही जादू बिखेरती है। ये आपकी प्रैक्टिस को बेहतर बनाता है, आपके कानों को सही सुरों को पहचानने में मदद करता है, और आपको एक बेहतर संगीतकार बनने की राह दिखाता है। याद रखिए, आपके गिटार के साथ आपका रिश्ता ही उसे मधुर बनाता है, और उस रिश्ते में सबसे पहला कदम है उसे प्यार से ट्यून करना।
알아두면 쓸모 있는 정보
यहां कुछ ऐसी बातें हैं जो आपके गिटार ट्यूनिंग के सफर को और भी आसान और बेहतर बना सकती हैं:
1. नियमित ट्यूनिंग की आदत डालें: मेरा मानना है कि हर बार जब आप गिटार बजाने बैठें, चाहे वह 5 मिनट की प्रैक्टिस हो या घंटों का जैम सेशन, अपने गिटार को ज़रूर ट्यून करें। यह छोटी सी आदत आपको हमेशा सही पिच पर रखेगी और आपके संगीत को बेहतर बनाएगी। शुरुआती दिनों में, मैंने भी इस आदत को अपनाने में थोड़ी देर की, लेकिन जब मैंने इसे अपनाया, तो मेरी प्रगति अद्भुत थी।
2. गिटार की देखभाल भी ज़रूरी है: जिस तरह हम अपनी सेहत का ध्यान रखते हैं, वैसे ही अपने गिटार को भी एक स्थिर तापमान और आर्द्रता वाले माहौल में रखें। बहुत ज़्यादा गर्मी या नमी से गिटार की लकड़ी फैलती या सिकुड़ती है, जिससे ट्यूनिंग पर असर पड़ सकता है। इसे गिटार केस में रखने से बहुत फर्क पड़ता है, खासकर जब आप इसे इस्तेमाल नहीं कर रहे हों।
3. तारों की क्वालिटी पर ध्यान दें: सस्ते और घटिया तार अक्सर जल्दी बेसुरा हो जाते हैं और अच्छी आवाज़ भी नहीं देते। मेरा अनुभव कहता है कि अच्छे ब्रांड के तारों में निवेश करना लंबी अवधि में फायदेमंद होता है। वे ज़्यादा देर तक ट्यून में रहते हैं और आपके गिटार की आवाज़ को भी निखारते हैं। पुराने और जंग लगे तारों को समय पर बदलना भी बहुत ज़रूरी है।
4. अपने कानों को प्रशिक्षित करें: शुरुआत में ट्यूनर पर निर्भर रहना ठीक है, लेकिन धीरे-धीरे अपने कानों को भी सुरों को पहचानने के लिए प्रशिक्षित करें। यह एक ऐसी कला है जो आपको किसी भी स्थिति में अपने गिटार को ट्यून करने में मदद कर सकती है, भले ही आपके पास ट्यूनर न हो। मैंने अक्सर दोस्तों के साथ बिना ट्यूनर के भी गिटार ट्यून किया है, और यह तभी संभव हो पाया जब मैंने अपने कानों पर काम किया।
5. गिटार के कॉम्पोनेंट्स का ध्यान रखें: गिटार के नट, ब्रिज और ट्यूनिंग पैग्स जैसे हिस्से भी ट्यूनिंग स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर ये हिस्से घिस गए हैं या ढीले हैं, तो आपका गिटार आसानी से बेसुरा हो सकता है। समय-समय पर इनकी जांच करें और अगर ज़रूरत हो तो किसी प्रोफेशनल से इन्हें ठीक करवाएं। यह आपके गिटार की लंबी उम्र के लिए भी अच्छा है।
중요 사항 정리
तो दोस्तों, इस पूरी बातचीत से हम कुछ अहम बातें सीख सकते हैं:
-
गिटार ट्यूनिंग एक कला है जिसे नियमित अभ्यास और सही जानकारी से निखारा जा सकता है।
-
सही ट्यूनर का चुनाव (ऐप या हार्डवेयर) आपकी ज़रूरत और सहूलियत पर निर्भर करता है, लेकिन हर तरीके के बेसिक्स को समझना ज़रूरी है।
-
मौसम (तापमान और आर्द्रता) आपके गिटार की ट्यूनिंग को प्रभावित कर सकता है, इसलिए उसे स्थिर वातावरण में रखने की कोशिश करें।
-
नए तारों को लगाने के बाद उन्हें ठीक से खींचना और सही पिच पर ट्यून करना बहुत ज़रूरी है, साथ ही पुराने तारों को समय पर बदलना भी।
-
अल्टरनेटिव ट्यूनिंग आपके संगीत में नयापन ला सकती है और आपको रचनात्मकता के नए रास्ते दिखा सकती है।
-
बजाने से पहले और बाद में ट्यून करने की आदत डालें, और पिच बेंडिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल सावधानी से करें ताकि ट्यूनिंग स्थिर रहे।
-
याद रखें, एक सुर में बजाया गया गिटार ही असली जादू पैदा करता है, और ये जादू आपके हाथों में है!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 📖
प्र: सिर्फ ट्यूनर ऐप पर भरोसा करना कितना सही है, या हमें गिटार ट्यूनिंग के कुछ पुराने तरीकों को भी सीखना चाहिए?
उ: अरे वाह, ये तो बहुत बढ़िया सवाल है! देखो, आजकल GuitarTuna और Fender Tune जैसे ऐप्स ने तो ज़िंदगी बहुत आसान बना दी है, इसमें कोई शक नहीं। मैंने खुद शुरुआत में इन्हीं पर बहुत भरोसा किया था और ये नए सीखने वालों के लिए तो वरदान से कम नहीं हैं। लेकिन अगर आप मेरी पर्सनल सलाह मानो, तो सिर्फ ऐप्स पर ही पूरी तरह निर्भर रहना ठीक नहीं है। सोचो, अगर कभी आपका फोन काम न करे या बैटरी डाउन हो जाए?
तब क्या? मैंने अपने अनुभव से सीखा है कि कान से ट्यूनिंग करना या ट्यूनिंग फोर्क (tuning fork) का इस्तेमाल करना एक कला है जो आपको एक बेहतर म्यूजिशियन बनाती है। जब आप अपने कान को सुरों की पहचान करना सिखाते हो, तो आपका संगीत के प्रति जुड़ाव और गहरा हो जाता है। ये आपको सिर्फ बजाना नहीं, बल्कि संगीत को महसूस करना सिखाता है। तो हाँ, डिजिटल ट्यूनर ऐप्स का इस्तेमाल करो, लेकिन धीरे-धीरे अपने कान को भी ट्रेन करो – इसका फायदा आपको आगे चलकर ज़रूर मिलेगा, मेरा यकीन मानो!
प्र: आखिर एक सही ट्यूनिंग इतनी ज़रूरी क्यों है? क्या सिर्फ अच्छा सुनाई देना ही इसका मकसद है, या इसके पीछे कुछ और गहरी वजह भी है?
उ: ये सवाल तो हर उस गिटारिस्ट के मन में आता है जो अपने संगीत को बेहतर बनाना चाहता है! सच कहूँ तो, जब मैंने पहली बार गिटार पकड़ा था, तो मैं भी सोचता था कि बस हल्का-फुल्का ट्यून कर लो और बजाना शुरू करो। लेकिन समय के साथ, मैंने एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात सीखी: सही ट्यूनिंग सिर्फ “अच्छा सुनाई देने” से कहीं ज़्यादा है। यह आपके पूरे संगीत के अनुभव को बदल देती है। जब आपका गिटार बेसुरा होता है, तो आप जो कुछ भी बजाते हैं, वह अजीब लगता है। इससे न सिर्फ आपकी प्रैक्टिस खराब होती है, बल्कि आप सही सुरों को पहचानना भी नहीं सीख पाते। मुझे याद है, एक बार मैं एक गाने की प्रैक्टिस कर रहा था और बार-बार मुझसे गलती हो रही थी, बाद में पता चला कि मेरा गिटार थोड़ा बेसुरा था!
सही ट्यूनिंग से आपकी उंगलियों को सही जगह पर जाने की आदत पड़ती है, आपके कान बेहतर तरीके से सुरों को समझते हैं, और सबसे बढ़कर, आपका आत्मविश्वास बढ़ता है। परफेक्ट ट्यूनिंग से जो धुन निकलती है, वह सीधे दिल को छू लेती है, और यही तो संगीत का असली जादू है, है ना?
प्र: मुझे अपने गिटार को कितनी बार ट्यून करना चाहिए? क्या हर बार बजाने से पहले, या हफ्ते में एक बार भी काफी है?
उ: ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब हर गिटारिस्ट के लिए थोड़ा अलग हो सकता है, लेकिन मेरा अनुभव कहता है कि “जितनी बार ज़रूरत हो, उतनी बार!” देखो, गिटार के तार तापमान, नमी और आपके बजाने के तरीके से प्रभावित होते हैं। मैं पर्सनली तो हर बार बजाने से पहले अपने गिटार को एक क्विक चेक देता हूँ। भले ही मुझे सिर्फ 10-15 मिनट के लिए ही क्यों न बजाना हो। खासकर, अगर आपने नए तार लगाए हैं, तो पहले कुछ दिनों तक तो आपको बार-बार ट्यून करना पड़ेगा क्योंकि नए तार थोड़े खिंचते हैं। मैंने देखा है कि मेरे कुछ दोस्त जो हफ़्ते में एक बार ट्यून करते हैं, उन्हें अक्सर हल्के बेसुरीपन का सामना करना पड़ता है। तो मेरी सलाह यही है कि इसे अपनी आदत में शुमार कर लो – हर सेशन की शुरुआत में बस कुछ सेकंड निकाल कर ट्यून कर लो। इससे न सिर्फ आपको हमेशा परफेक्ट सुर मिलेंगे, बल्कि आपके कान भी धीरे-धीरे इतने ट्रेंड हो जाएंगे कि आप हल्के से बेसुरीपन को भी तुरंत पहचान लोगे। ये एक छोटी सी आदत है जो आपके संगीत के सफर को बहुत बेहतर बना सकती है!






